लखनऊ/प्रतिनिधी
22 जनवरी
उत्तर प्रदेश में एमएलसी चुनाव हुए, सभी की नजर बसपा की तरफ थी। अखिलेश यादव ने राज्यसभा चुनाव में बसपा को धोखा दिया, 5 विधायक बसपा के तोड़कर सीधा धोखा दिया जिससे एक एससी व्यक्ति को राज्यसभा जाने से रोका जा सके लेकिन बहनजी ने एक "मुस्लिम" प्रत्याशी को विधान परिषद जाने से नही रोका।
एमएलसी की 12 सीट के चुनाव थे। एक एमएलसी के लिए 32 विधायक होने चाहिए, सपा के 48 विधायक थे, ऐसे में उसका केवल एक राजेन्द्र चौधरी ही जीत पाता, अब अगले मुस्लिम प्रत्याशी के लिए सपा को 18 विधायक और चाहिये थे क्योंकि आजम खां के लड़के की विधायकी रद्द हो गई व शिवपाल यादव जीकी अपनी पार्टी है, ऐसे में बिना बसपा की सहायता के सपा का मुस्लिम प्रत्याशी जीत नही सकता था।
अब अखिलेश यादव सोच रहे होंगे कि उन्होंने राज्यसभा में बसपा को धोखा देकर जो चोट दी है उसमें बहनजी भावनाओ में।बहकर भाजपा का प्रत्याशी जितवायेगी। लेकिन अखिलेश यादव जी भूल गए कि जिस राजनीति के स्कूल में वो पढ़े है, उस कॉलेज ही नही, जिस राजनीति की यूनिवर्सिटी के अंतर्गत कॉलेज आता होगा उसके कुलपति से ज्यादा अनुभव रखती है।
बहनजी ने सपा का मुस्लिम प्रत्याशी जितवाकर उस माहौल को खत्म कर दिया जो राज्यसभा चुनाव के बाद बहनजी के एक बयान को तोड़ मरोड़कर प्रचार किया जा रहा था कि आने वाले एमएलसी चुनाव में बसपा , सपा का प्रत्याशी हरवाने के लिए भाजपा का प्रत्याशी जितवायेगी।